Monday, January 9, 2012

स्वर्गलोक

माघ मास का प्रारंभ 10 जनवरी, मंगलवार से हो रहा है। हिंदू धर्म में माघ मास को बहुत ही पवित्र माना गया है। मत्स्य पुराण, महाभारत आदि धर्म ग्रंथों में मास मास का महत्व विस्तार से बताया गया है। इस मास में भगवान माधव की पूजा करने तथा नदी स्नान करने से मनुष्य स्वर्गलोक में स्थान पाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार-

स्वर्गलोके चिरं वासो येषां मनसि वर्तते।

यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे।।

अर्थात जिन मनुष्यों को चिरकाल तक स्वर्गलोक में रहने की इच्छा हो, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर पवित्र नदी में प्रात:काल स्नान करना चाहिए।

माघं तु नियतो मासमेकभक्तेन य: क्षिपेत्।

श्रीमत्कुले ज्ञातिमध्ये स महत्त्वं प्रपद्यते।।

(महाभारत अनु. 106/5)

अर्थात जो माघमास में नियमपूर्वक एक समय भोजन करता है, वह धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बीजनों में महत्व को प्राप्त होता है।

अहोरात्रेण द्वादश्यां माघमासे तु माधवम्।

राजसूयमवाप्रोति कुलं चैव समुद्धरेत्।।

(महाभारत अनु. 109/5)

अर्थात माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूययज्ञ का फल प्राप्त होता है और वह अपने कुल का उद्धार कर देता है।

Saturday, January 7, 2012

 भारतीय संवत्सर का ग्यारहवां चंद्रमास व दसवां सौरमास माघ कहलाता है। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। धार्मिक दृष्टिकोण से इस मास का बहुत अधिक महत्व है। इस बार माघ मास का प्रारंभ 10 जनवरी, मंगलवार से हो रहा है। इस मास में पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य पापमुक्त हो स्वर्गलोक में स्थान पाता है-

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।

माघ मास में प्रयाग में स्नान, दान, भगवान विष्णु के पूजन व हरिकीर्तन के महत्व का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस में लिखा है-

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरतपतिहिं आव सब कोई।।

देव दनुज किन्नर नर श्रेनीं। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।

पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।

पद्मपुराण के उत्तरखण्ड में माघमास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है-सौरमास

व्रतैर्दानैस्तपोभिश्च न तथा प्रीयते हरि:।

माघमज्जनमात्रेण यथा प्रीणाति केशव:।।

प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापापनुक्तये।

माघस्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानव:।।

अर्थात व्रत, दान और तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नानमात्र से होती है, इसलिए स्वर्गलाभ, सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य करना चाहिए।

Friday, January 6, 2012

मकर संक्रांति

इस बार मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर कई विशेष योग बन रहे हैं, जिसके कारण इस पर्व का महत्व और भी अधिक हो गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति(15 जनवरी) पर्व पर भानु सप्तमी का योग भी बन रहा है। यह योग इसके पहले सन 1951 में बना था।

ज्योतिषाविदों के अनुसार सप्तमी तिथि व रविवार को संक्रांति आने से भानु सप्तमी का योग बन रहा है। संक्रांति 14 जनवरी की रात 12:58 से लगेगी। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी, रविवार को रहेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन अद्र्धरात्रि में हो रहा है इसलिए सूर्योदय से पर्व काल शुरु होगा। इस दिन देव दर्शन, स्नान, दान के लिए 10 घंटे का पुण्यकाल रहेगा और सूर्य उपासना से सौ गुना अधिक फल मिलेगा। मकर संक्रांति पर्व से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी।

इस बार क्यों खास है मकर संक्रांति?

जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन माना गया है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य की पूजा की जाती है। इस बार मकर संक्रांति के पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि के योग के साथ भानु सप्तमी होने से सूर्य की उपासना कर स्नान-दान पुण्य करने से सौगुना अधिक फल मिलेगा।

Thursday, January 5, 2012

Sewag samaj Sri Dungargarh: सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी म...

Sewag samaj Sri Dungargarh:
सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी म...
: सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन अशांत और अस्थिर रहें, तो इसका कारण कहीं न कहीं जीवन में मन, वचन और व्यवहार में आया कोई न...

सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन अशांत और अस्थिर रहें, तो इसका कारण कहीं न कहीं जीवन में मन, वचन और व्यवहार में आया कोई न कोई दोष होता है, जो शरीर, बुद्धि या ज्ञान रूपी बल के दुरुपयोग से भी पैदा होता है। जिससे थोड़े वक्त के लिए स्वार्थ सिद्धी या लाभ तो मिलता है, किंतु यही दोष अंतत: बड़े कलह, अशांति, दु:ख, हानि और बुरे नतीजों का कारण भी बनता है।

धर्मशास्त्र मन और घर में प्रेम और शांति बनाए रखने के लिये जगतपालक भगवान विष्णु की भक्ति, सेवा और उपासना का महत्व बताया गया है। विष्णु पूजा दोषमुक्ति और मनचाही सुख-संपन्नता भी देने वाली होती है। किंतु इसके लिये एकादशी या नियमित रूप से विष्णु भक्ति में कुछ व्यावहारिक मर्यादाओं और नियम-संयम का पालन भी जरूरी बताया गया है। जानिए विष्णु पूजा मे किन बातों का रखें ध्यान -

- सबसे पहले विष्णु पूजा में तन की पवित्रता और स्वच्छता को अपनाएं।

- शौच के बाद बिना नहाए विष्णु आराधना न करें।

- बिना दांतों की सफाई किए बिना पूजा-उपासना न करें।

- गंदे और मैले वस्त्र पहनकर विष्णु पूजा न करें।

- क्रोध या आवेश आने पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्पर्श न करें।

- किसी भी प्रकार मांसाहार कर भगवान विष्णु की उपासना निषेध है।

- काले या लाल वस्त्र पहनने के स्थान पर पीले वस्त्र धारण करें।

- शराब पीकर या छूकर भी विष्णु आराधना में शामिल नहीं होना चाहिए।

- पेट में किसी भी तरह की गडबड़ी होने या अजीर्ण होने पर विष्णु पूजा में शामिल नहीं होना चाहिए।

- पूजा के समय उदर वायु न छोडें।

- रजस्वला स्त्री का स्पर्श हो जाने पर स्नान करने के बाद ही विष्णु पूजा करें।

- शवयात्रा में शामिल होने या शव को छूने के बाद बिना स्नान कर ही विष्णु दर्शन या पूजा न करें।

Thursday, August 25, 2011

भगत सिंग सरदार सुरमा

मौत नुमासी आखन वाला आजादी दी यार भगत सिंग नु आखन लोकी केस कटा लई क्यू पापी ऐ तू पापी सिघा ऐ की किता तू ऐ की किता तू कहाँ लगा सरदार भगत सिंग की अज्मोणा बाकि है केस कटाए देस लायी में सर कट्वोना बाकि है गुस्ताखी दी मोफी चो में साहिब दे दरबार भगत सिंग सरदार सुरमा ........

बाड खेत नु खावन लगी कोण करू रखवाली छांव दे रुख लावन वाले भूखे बैठे माली भूखे बैठे माली धर्म योग विच धर्म योग है ऐ गीता दा सार भगत सिंग सरदार सुरमा ........

ऐ गोरे अंगरेजो ने जो वापस तम्बू ताणे -२ एस तरह खेत मिटी दी कुख विच खोपडिया न बीजो खोपडिया जो उक्त पेन गए इन्कलाब दे दाणे -३ इन्कलाब जिन्दाबाद इन्कलाब जिंदाबाद एक भगत नु मरोगे तो लाखो भगत तयार भगत सिंग सरदार सुरमा ........

साड़ी ते गल प्यार नाल है प्यार नाल सम्झोअना जुल्म ना करना जुल्म ना सब दा भला मनोना गुरु गोविन्द सिंग साहिब जी दा मुखो ऐ फ़रमोना -२ हाथ जोड़े जे काम न आवण चुग लेवो हथियार --- जो बोले सो निहाल सत्सरिया काल दीवाने परवाने पागल जो भी समझो सानू राज गुरु सुख देव भगत सिंग यद् ओणगे थाव्नु -३ पूछ लेना गुरदास मान तो की हुंदा है प्यार भगत सिंग सरदार सुरमा .......

.वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम जय हिंद जय भारत वन्दे मातरम इन्कलाब जिंदाबाद


जय श्री कृष्ण
राधे राधे
हेमंत

Tuesday, August 9, 2011

Sewag samaj Sri Dungargarh: JAI SHREE RADHEY KRISHNA

Sewag samaj Sri Dungargarh: JAI SHREE RADHEY KRISHNA: "मौत और मौत के बाद की दुनिया की जितनी भी कल्पना की जाए उसका सही अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। मरने के बाद क्या वाकई कोई यमपुरी है जहां आत्म..."