उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं, पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं | ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं, तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं | अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये , धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Wednesday, July 13, 2011
आसान घरेलु उपाय
आंखों के आगे अंधेरा होना, चक्कर आना, बाहरी दृश्य हिलते हुए, घूमते हुए या उल्टे सीधे नजर आना.....इसी तरह की जाने कितनी ही समस्याएं हैं जिनका सीधा संबंध हमारी आंखों से होता है। एकाएक खड़े होने, झुकने या तेजी से घूम जाने पर अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। प्रकाश होते हुए भी अंधेरा लगना या चक्कर आने के कई शारीरिक और मानसिक कारण होते हैं।
Tuesday, July 12, 2011
हिन्दू धर्म
हर इंसान जीवन के हर पलों में सुखों की आस करता है। ईश्वर से प्रार्थना, दुआओं, आशीर्वाद या कर्म हर कहीं खुशियों को पाने की गहरी चाहत होती है। इस तरह इंसान जागते हुए ही आनंद और रस नहीं चाहता है, बल्कि सुकून और चैन से भरी नींद भी सुख की कामना में शामिल होती है। लेकिन सच यही है कि नींद यानी शयन तभी बेचैनी से मुक्त होता है जब जागरण संयम से भरा हो।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा बताए गए व्रत, त्यौहार सुख के लिए संयम और संतुलित जीवन शैली को अपनाने का संदेश और सीख देते हैं। इसी कड़ी में हिन्दू माह आषाढ शुक्ल एकादशी यानी देवशयनी एकादशी (11 जुलाई) से कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी (6 नवंबर) के बीच के चार माह चातुर्मास के रूप में प्रसिद्ध है। जिसमें धर्म और संयम को अपनाकर जीवन में रस, आनंद और सुख कायम रखने का संदेश भी है।
धार्मिक मान्यताओं में ये दोनों तिथियां भगवान विष्णु के शयन और जागरण की घड़ी मानी जाती है। माना जाता है कि देवशयनी एकादशी (11 जुलाई) से अगले चार माह तक भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर सोने के लिये क्षीरसागर में चले जाते हैं। इसलिए इस दौरान अनेक मांगलिक कार्य नहीं होते। जैसे गृह प्रवेश, विवाह, देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा, यज्ञ-हवन, संस्कार आदि।
प्रतीक रूप में भगवान विष्णु का यह शयन मौसम के बदलाव में स्वास्थ्य और व्यावहारिक जीवन को सुखद बनाने के लिए जीवनशैली को साधना सिखाता है। खासतौर पर धर्म आचरण से जुड़कर।
इसी क्रम में माधुर्य यानी आनंद, सात्विक स्वरूप भगवान विष्णु के नाम स्मरण का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु और उनके अवतार जगत के सुख और कल्याण का कारण बने। जिनमें श्रीकृष्ण और श्रीराम के कर्म और मर्यादा के सूत्र हर काल में सुखी जीवन के बेहतर उपाय माने गए हैं।
यहां देवशयनी एकादशी और चातुर्मास की घड़ी में मन, वचन, व्यवहार को साधने के लिए भगवान श्री कृष्ण, श्री राम के रूप में भगवान विष्णु के ध्यान का सरल मंत्र बताया जा रहा है, जिसका आप अकेले या परिवार, इष्टमित्रों के साथ बैठकर भी ध्यान करें तो तनाव, दबाव व परेशानी से मुक्त जीवन का सुख ले पाएंगे -
- चातुर्मास के दौरान यथासंभव प्रतिदिन भगवान विष्णु की गंध, चंदन, पीले फूल, नैवेद्य अर्पित कर सुगंधित धूप व दीप जलाकर इस आसान मंत्र का जप करें -
अच्युतं केशवम् रामनारायणम्
कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरिम्
श्रीधरं माधवं गोपिका वल्लभम्
जानकीनायकं रामचन्द्रं भजे
- मंत्र जप या भजन के बाद विष्णु आरती कर प्रसाद जरूर ग्रहण करें।
उत्तर | इस वार्तालाप पर 961 सहभागी
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