उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं, पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं | ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं, तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं | अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये , धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Monday, January 9, 2012
शाकद्वीपीय मघ ब्राह्मिन समाज ( श्री डूंगरगढ़ ): जानिए शिव या किसी भी देव मंत्रों के जप के लिए शास्...
शाकद्वीपीय मघ ब्राह्मिन समाज ( श्री डूंगरगढ़ ): जानिए शिव या किसी भी देव मंत्रों के जप के लिए शास्...: शास्त्रों में अलग-अलग रूपों में शिव या अन्य देवताओं के मंत्र जप हर कामनापूर्ति, गंभीर रोग, पीड़ा और दु:ख से छुटकारे के लिए शुभ व असरदार म...
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