उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं, पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं | ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं, तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं | अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये , धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Wednesday, January 18, 2012
शाकद्वीपीय मघ ब्राह्मिन समाज ( श्री डूंगरगढ़ ): बुद्धि और विवेक का तालमेल न केवल लक्ष्य तक पहुंचना...
शाकद्वीपीय मघ ब्राह्मिन समाज ( श्री डूंगरगढ़ ): बुद्धि और विवेक का तालमेल न केवल लक्ष्य तक पहुंचना...: बुद्धि और विवेक का तालमेल न केवल लक्ष्य तक पहुंचना आसान बनाकर सुख की हर चाहत को पूरी करता है। किंतु मकसद को पूरी करने के लिए अहम है कि ...
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