उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं,
पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं |
ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं,
तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं |
अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये ,
धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Thursday, January 5, 2012
Sewag samaj Sri Dungargarh: सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी म...
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