उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं, पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं | ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं, तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं | अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये , धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Tuesday, August 9, 2011
Sewag samaj Sri Dungargarh: JAI SHREE RADHEY KRISHNA
Sewag samaj Sri Dungargarh: JAI SHREE RADHEY KRISHNA: "मौत और मौत के बाद की दुनिया की जितनी भी कल्पना की जाए उसका सही अनुमान लगाना काफी मुश्किल है। मरने के बाद क्या वाकई कोई यमपुरी है जहां आत्म..."
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sewag ji boy
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