उत्तर-पश्चिम सुदूर प्रान्त के ब्रह्मण इस विद्या में भारी हैं, पूजक हैं वो सूर्यदेव के वो ही इस चिकित्सा के अधिकारी हैं | ये ब्रह्मण अत्यंत तेज़ और दिव्य-शक्तियों वाले हैं, तंत्र-ज्योतिष और आयुर्वेद में इनके ज्ञान निराले हैं | अठारह कुल के ब्राहमणों को श्री कृष्ण खुद लेकर आये , धन्य पक्षिराज गरुड़ जो इस कार्य निहित बनकर आये |
Thursday, January 5, 2012
सांसारिक जीवन में तमाम सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन अशांत और अस्थिर रहें, तो इसका कारण कहीं न कहीं जीवन में मन, वचन और व्यवहार में आया कोई न कोई दोष होता है, जो शरीर, बुद्धि या ज्ञान रूपी बल के दुरुपयोग से भी पैदा होता है। जिससे थोड़े वक्त के लिए स्वार्थ सिद्धी या लाभ तो मिलता है, किंतु यही दोष अंतत: बड़े कलह, अशांति, दु:ख, हानि और बुरे नतीजों का कारण भी बनता है।
धर्मशास्त्र मन और घर में प्रेम और शांति बनाए रखने के लिये जगतपालक भगवान विष्णु की भक्ति, सेवा और उपासना का महत्व बताया गया है। विष्णु पूजा दोषमुक्ति और मनचाही सुख-संपन्नता भी देने वाली होती है। किंतु इसके लिये एकादशी या नियमित रूप से विष्णु भक्ति में कुछ व्यावहारिक मर्यादाओं और नियम-संयम का पालन भी जरूरी बताया गया है। जानिए विष्णु पूजा मे किन बातों का रखें ध्यान -
- सबसे पहले विष्णु पूजा में तन की पवित्रता और स्वच्छता को अपनाएं।
- शौच के बाद बिना नहाए विष्णु आराधना न करें।
- बिना दांतों की सफाई किए बिना पूजा-उपासना न करें।
- गंदे और मैले वस्त्र पहनकर विष्णु पूजा न करें।
- क्रोध या आवेश आने पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्पर्श न करें।
- किसी भी प्रकार मांसाहार कर भगवान विष्णु की उपासना निषेध है।
- काले या लाल वस्त्र पहनने के स्थान पर पीले वस्त्र धारण करें।
- शराब पीकर या छूकर भी विष्णु आराधना में शामिल नहीं होना चाहिए।
- पेट में किसी भी तरह की गडबड़ी होने या अजीर्ण होने पर विष्णु पूजा में शामिल नहीं होना चाहिए।
- पूजा के समय उदर वायु न छोडें।
- रजस्वला स्त्री का स्पर्श हो जाने पर स्नान करने के बाद ही विष्णु पूजा करें।
- शवयात्रा में शामिल होने या शव को छूने के बाद बिना स्नान कर ही विष्णु दर्शन या पूजा न करें।
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jai ho
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